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Tuesday, October 30, 2018

खयाल



युंही कभी आया करो खयालोमें

खयाल जो तुम्हारे मेरे बीच का
फासला तय करना चाहते है

फासले जो सुबह की अंगडाईसे परे
और शाम की तनहाईसे वास्ता रखते है

तनहाई से याद आया.....
क्या अब भी तुम आंखोपर
किताब रखकर सोते हो ?

किताब जिसमे मैने कभी दिया हुआ
पीपल का पत्ता हुआ करता था

किताब के पंने कितनेही बेतरतीब क्यू न हो
उस पत्ते का खयाल रखना...
और युंही कभी खयालोमे आते रहना !

- नेहा लिमये 

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