युंही कभी आया करो खयालोमें
खयाल जो तुम्हारे मेरे बीच का
फासला तय करना चाहते है
फासले जो सुबह की अंगडाईसे परे
और शाम की तनहाईसे वास्ता रखते है
तनहाई से याद आया.....
क्या अब भी तुम आंखोपर
किताब रखकर सोते हो ?
किताब जिसमे मैने कभी दिया हुआ
पीपल का पत्ता हुआ करता था
किताब के पंने कितनेही बेतरतीब क्यू न हो
उस पत्ते का खयाल रखना...
और युंही कभी खयालोमे आते रहना !
- नेहा लिमये
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